श्याम बाबा के नाम
बाबा श्याम अनगिनत नामों से जाने जाते हैं:
बर्बरीक
ऋषि वेदव्यास द्वारा रचित स्कन्द पुराण के अनुसार महाबली भीम एवं हिडिम्बा के पुत्र वीर घटोत्कच के शास्त्रार्थ की प्रतियोगिता जीतने पर इनका विवाह प्रागज्योतिषपुर (वर्तमान आसाम) के राजा दैत्यराज मूर की पुत्री कामकटंककटा से हुआ। कामकटंककटा को “मोरवी” नाम से भी जाना जाता है। घटोत्कच व माता मोरवी को एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई जिसके बाल बब्बर शेर की तरह होने के कारण इनका नाम बर्बरीक रखा गया। बाबा
खाटू के श्री श्याम / खाटू नरेश / श्याम सरकार
बाबा श्याम का शीश खाटू नगर में दफ़नाया गया इसलिए उन्हें खाटू श्याम बाबा कहा जाता है।
कलयुग के अवतार
श्री कृष्ण वीर बर्बरीक के महान बलिदान से काफी प्रसन्न हुए और वरदान दिया कि कलियुग में तुम कलयुग के अवतार के नाम से जाने जाओगे, क्योंकि उस युग में हारे हुए का साथ देने वाला ही श्याम नाम धारण करने में समर्थ है।
तीन बाणधारी
भगवान् शिव की घोर तपस्या करके उन्हें प्रसन्न किया और तीन अमोघ बाण प्राप्त किये; इस प्रकार तीन बाणधारी के नाम से प्रसिद्ध नाम प्राप्त किया।
चण्डील
बर्बरीक ने महीसागर क्षेत्र में ३ वर्ष तक नवदुर्गा की आराधना की, सच्ची निष्ठा एवं तप से प्रसन्न होकर भगवती जगदम्बा ने वीर बर्बरीक के सम्मुख प्रकट होकर तीन बाण एवं कई शक्तियाँ प्रदान कीं, जिससे तीनों लोकों पर विजय प्राप्त की जा सकती थी। यहाँ उन्हें “चण्डील” नाम मिला।
शीश के दानी
जब श्री कृष्ण ने उनसे उनके शीश की मांग की तो उन्होंने अपना शीश बिना किसी झिझक के उनको अर्पित कर दिया और भक्त उन्हें शीश के दानी के नाम से पुकारने लगे। श्री कृष्ण पाण्डवों को युद्ध में विजयी बनाना चाहते थे। बर्बरीक पहले ही अपनी माँ को हारे हुए का साथ देने का वचन दे चुके थे और युद्ध के पहले एक वीर पुरुष के सिर की भेंट युद्धभूमिपूजन के लिए करनी थी इसलिए श्री कृष्ण ने उनसे शीश का दान मांगा।
लखदातार
भक्तों की मान्यता रही है कि बाबा से अगर कोई वस्तु मांगी जाती है तो बाबा लाखों-लाख देते हैं इसीलिए उन्हें लखदातार के नाम से भी जाना जाता है।
हारे का सहारा
जैसा कि इस आलेख मे बताया गया है बाबा ने हारने वाले पक्ष का साथ देने का प्रण लिया था, इसीलिए बाबा को हारे का सहारा भी कहा जाता है।
मोरछड़ी धारक
बाबा हमेशा मयूर के पंखों की बनी हुई छड़ी रखते हैं इसलिए इन्हें मोरछड़ी वाला भी कहते हैं।
भगवान कृष्ण के १०८ नाम
- अचल : स्थायी, स्थिर, निरंतर
- मनोहर : मनमोहक
- अच्युत : अविनाशी
- मयूर : मोरपंखी वाले भगवान
- अद्भुत : निराला भगवान
- मोहन : चित्ताकर्षक
- आदिदेव : देवताओं के देवता
- मुरली : बांसुरी बजाने वाले भगवान
- आदित्य : अदिति के पुत्र
- मुरलीधर : बांसुरी रखने वाले
- अजन्मा : जीवन और मृत्यु से परे
- मुरलीमनोहर : मनमोहक बांसुरी बजाने वाले
- अजय : जिसे जीता न जा सके
- नन्दकुमार : नन्द के बेटे
- अक्षर : जिसे नुकसान न किया जा सके
- नन्दगोपाल : नन्द के बेटे
- अमृत : जिसे मारा न किया जा सके
- नारायण : हर किसी के लिए शरण
- आनंद सागर : ख़ुशी का भंडार
- माखनचोर : मक्खन चुराने वाले
- अनंत : जिसका कोई अंत न हो
- निरंजन : निष्कलंक
- अनंतजीत : जिसने सब कुछ जीत लिया हो
- निर्गुण : जिसके गुण का बखान न किया जा सके
- अन्य : जिससे ऊपर कोई न हो
- पदमहस्त : कमल जैसे हाथ वाले
- अनिरुद्ध : जिसको बाधित न किया जा सके
- पदमनाभ : कमल जैसी नाभ वाले
- अपराजीत : जिसको हराया न जा सके
- पारब्रह्म : सबसे बड़ा सत्य
- अवयुक्त : जिसमें कोई बुराई न हो
- परमात्मा : सबसे बड़ी आत्मा
- बालगोपाल : बालक कृष्ण
- परमपुरुष : सबसे बड़ा पुरुष
- बालकृष्णा: बालक कृष्ण
- पार्थसारथि : अर्जुन के सारथि
- चतुर्भुज : चार भुजाओं वाला
- प्रजापति : सभी जीव जंतु के रचियता
- दानवेन्द्र : दान देने वाला भगवान
- पुण्य : पनीत, पवित्र
- दयालु : कृपालु
- पुरषोत्तम : सबसे उत्तम पुरुष
- दयानिधि : कृपा का सागर
- रविलोचन : सूर्य जिसकी आँखें हैं
- देवादिदेव : देवताओं के देवता
- सहस्त्रअक्ष : हज़ार आँखों वाला
- देवकीनंदन : देवकी माँ के पुत्र
- सहस्त्रजीत : हज़ारों पर विजय प्राप्त करने वाला
- देवेश : देवताओं के देवता
- साक्षी : सबकुछ देखने वाला
- धर्माध्यक्ष : धर्म के प्रमुख
- सनातन : अनन्त
- द्रविन : जिसका कोई क्षत्रु न हो
- सर्वजन : सर्वज्ञ, सर्वदर्शी
- द्वारकापति : द्वारका के स्वामी
- सर्वपालक : सभी का पालन पोषण करने वाला
- गोपाल : ग्वालों के साथ खेलने वाला
- सर्वेश्वर : सबका ईश्वर
- गोपालप्रिय : ग्वालों के प्रिय
- सत्यवाचन : सदा सत्य बोलने वाला
- गोविंद : गौ को प्रसन्न करने वाला
- सत्यव्रत : जिसने सत्य का साथ देने का संकल्प लिया हो
- ज्ञानेश्वर : ज्ञान का भगवन
- शान्तः : अमनपसंद
- हरि : प्रकृति के भगवान
- श्रेष्ठ : उत्कृष्ट
- हिरण्यगर्भ : शक्तिशाली रचनाकर्ता
- श्रीकांत : सुन्दर
- ऋषिकेश : सभी बुद्धि के भगवान
- श्याम : सावले वर्ण वाला
- जगद्गुरु : सारे जगत के गुरु
- श्यामसुन्दर : सावले वर्ण वाला सुन्दर
- जगदीश : जगत के भगवान
- सुमेधा : बुद्धिमत्तापूर्ण
- जगन्नाथ : जगत के भगवान
- सुरेशम : सभी देवताओं का स्वामी
- जनार्दन : सभी को आशीर्वाद देने वाले
- स्वर्गपति : स्वर्ग का स्वामी
- जयंत : सभी दुश्मनों के विजेता
- त्रिविक्रम : तीनो लोक का विजेता
- ज्योतिरादित्य : सूर्य की चमक
- उपेन्द्र : इंद्र का बड़ा भाई
- कमलनाथ : देवी लक्ष्मी के नाथ
- वैकुण्ठनाथ : वैकुण्ठ के स्वामी
- कमलनयन : कमल जैसी आँखों वाले
- वर्धमान : निराकार भगवान
- कंसंतक : कंस का वध करने वाले
- वासुदेव : वासुदेव के पुत्र
- कंजलोचन : कमल जैसी आँखों वाले
- विष्णु : सभी प्रचलित भगवान
- केशव : घने काले बालों वाले
- विश्वदक्षिणा : विश्व को दक्षिणा देने वाले
- कृष्ण : सावले वर्ण वाला
- विश्वकर्मा : विश्व का रचियता
- लक्ष्मीकांतम् : देवी लक्ष्मी के नाथ
- विश्वमूर्ती : विश्व की मूर्ति
- लोकाध्यक्षा : तीनों लोक के स्वामी
- विश्वरूप : विश्व का रूप
- मदन : प्यार के भगवान
- विश्वात्मा : विश्व की आत्मा
- माधव : ज्ञान से भरा भंडार
- वृषपर्व : धर्म के भगवान
- मधुसूदन : मधु दानव का नाश करने वाले
- यादवेन्द्र : यादवों के स्वामी
- महेंद्र : इंद्र के भगवान
- योगी : योग करने वाला
- मनमोहन : मंन को मोहने वाला
- योगीनामपति : योगियों के स्वामी